मुंबई एयरपोर्ट पर बड़ा धमाका: डीआरआई ने 1.2 किलो सोना जब्त किया, दो कर्मचारी गिरफ्तार

मुंबई
सीमा शुल्क विभाग की खुफिया एजेंसी डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) ने सोने की तस्करी के नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। 'ऑपरेशन गोल्डन स्वीप' के तहत कार्रवाई करते हुए मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से विदेश का 1.2 किलोग्राम सोना जब्त किया गया। इस सोने की कीमत करीब 1.60 करोड़ रुपए बताई जा रही है।

डीआरआई की मुंबई जोनल यूनिट (एमजेडयू) को खुफिया जानकारी मिली थी कि कुछ अंतरराष्ट्रीय यात्री और हवाई अड्डे के अंदरूनी कर्मचारी मिलकर विदेशी सोने की तस्करी कर रहे हैं। सूचना के अनुसार, सोना विमान के अंदर छिपाया जाता था और बाद में एयरपोर्ट सर्विस स्टाफ द्वारा उसे निकालकर बाहर पहुंचाया जाता था। जानकारी के बाद डीआरआई अधिकारियों ने एयरपोर्ट पर डिस्क्रीट सर्विलांस (गुप्त निगरानी) शुरू की। यात्रियों के उतरने के बाद जब सफाई कर्मचारी विमान की सफाई कर रहे थे, तभी डीआरआई अधिकारियों ने कुछ कर्मचारियों की व्यक्तिगत तलाशी शुरू की। इस दौरान, एक सफाईकर्मी घबराहट में एयरोब्रिज की सीढ़ियों पर चढ़ गया और एक पैकेट को कोने में छिपाकर वापस समूह में शामिल हो गया। डीआरआई टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सीढ़ियों के उस हिस्से की तलाशी ली, जहां से सफेद कपड़े में लिपटी मोम जैसी परत में छिपा सोने का पाउडर बरामद हुआ।

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जांच में पाया गया कि यह काम एयरपोर्ट की एक सेवा कंपनी के क्लीनिंग स्टाफ के टीम लीडर ने किया था। जब उससे पूछताछ की गई तो उसने कबूल किया कि उसने तलाशी से बचने के लिए सोना छिपाया था। उसने आगे बताया कि विमान से सोना निकालने का काम उसके सुपरवाइजर ने किया था, जिसने उसे पैकेट सौंपा था।
डीआरआई ने आरोपी की पहचान के आधार पर सुपरवाइजर को भी गिरफ्तार कर लिया। दोनों को पूछताछ के बाद कस्टम्स एक्ट 1962 के तहत गिरफ्तार किया गया है।

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जांच में खुलासा हुआ कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से आने वाले यात्री विमान में ही विदेशी सोना छिपा कर छोड़ देते थे। बाद में एयरपोर्ट सर्विस स्टाफ के भरोसेमंद कर्मचारी विमान से सोना निकालकर एयरपोर्ट से बाहर निकालने की जिम्मेदारी संभालते थे।
डीआरआई अधिकारियों ने बताया कि ये मामला एक बार फिर इस बात को साबित करता है कि एयरपोर्ट के अंदरूनी कर्मचारियों की मिलीभगत से सोने की तस्करी कितनी संगठित रूप से की जा रही है। यह न केवल एयरपोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी सीधा प्रभाव डालता है।
डीआरआई ने कहा कि मामले की आगे की जांच जारी है और इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की भी तलाश की जा रही है।

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